मात्र जी लेने का तरीका
या समय की दिशा के साथ मुड़ते
दो अनमने, बदरंगे पाँव
जिम्मेदारी के बोझ से
टूटते कंधों की चरमराहट
या फ़िर संस्कारों के बोझ में दबकर
दम तोड़ती कुंठित भावनाएं
भविष्य की चिंता में
वर्तमान को खोते सुनहरे पल
या फ़िर उम्मीदों की पालकी में
डोलते विचारों की जंग
जिजीविषा है, पिपासा है अभिलाषा है ज़िन्दगी
कहीं हसती, खिलखिलाती, तो कहीं टूटी बोझल सी ज़िन्दगी
ये जीवन कालकोठरी तो नही
जहाँ अंधेरा ही अंधेरा है
बाहर निकल कर तो देखें
सूर्य की किरणों का पाराशर फ़ैला है,
उल्लास है उमंग है उम्मीद है ज़िन्दगी
सरकते साँझ सी लेकिन थोड़ी है ज़िन्दगी !!
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