समस्याओं में घिरा पहाड़
प्रश्न जीने मरने का नहीं
प्रश्न है जीवन से जूझने का
विषमताओं को झेलने का
पहाड़ों में
असमय बूढ़ी होती जवानी
खेतों में सिंचता पसीने का पानी
आस, बची है परदेस में अपनों की
टीस, पहाड़ को छोड़ते अपनों की
आश्वासनों पर लटका
वादों पर टिका पहाड़
रोज़गार, प्रगति, अनुशासन
सब चुनावी मुखौटे
दर्द में भीगता पहाड़
प्रश्नों से जूझता पहाड़
वास्तविकता को मुखर रूप से उखेलती सुंदर रचना
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